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साक्षात्कारचुनौतियों को आर्थिक अवसरों में बदलने का समय प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा

''यूरोप के 50 देशों और लैटिन अमेरिका के 26 देशों से ज्यादा हमारी जनसंख्या है। विश्व के सर्वाधिक 20 प्रतिशत युवा और 6.34 करोड़ एमएसएमई उद्योग भारत में हैं। इस संख्या बल के दम पर हमें भारत की 'आर्थिक चुनौतियों' को 'आर्थिक अवसरों' में बदलना है। '' यह विचार गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा के पूर्व कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने बुधवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सत्रारंभ समारोह 2021 के तीसरे दिन व्यक्त किये।
'भारत का आर्थिक भविष्य' विषय पर अपनी बात रखते हुए प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भर होना आज के समय की आवश्यकता है। भारत के उत्पादन पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। सोलर क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक समय में भारत की कई कंपनियां सोलर पैनल बनाती थीं, जिनका यूरोपीय देश में निर्यात होता था। लेकिन, जैसे ही चीन ने सस्ते सोलर पैनल भारत में बेचना शुरू किया, हमारी इन कंपनियों को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
प्रो. शर्मा के अनुसार अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है, तो अपनी उत्पादन क्षमता और आयात की तुलना में निर्यात को बढ़ाना होगा। तकनीकी क्षेत्रों में भारतीय मानव संसाधन पूरी दुनिया में काम कर रहा है, लेकिन इन लोगों के द्वारा तैयार किए गए तकनीकी उत्पाद का फायदा मल्टीनेशनल कंपनियां उठाती हैं। इससे भारतीय ज्ञान और प्रतिभा से प्राप्त मुनाफा विदेशी कंपनियों को प्राप्त होता है। इसे रोकने के लिए भारत को स्वदेशी तकनीक की ओर जाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम स्वदेशी उत्पाद खरीदेंगे, तो उससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा, बल्कि तकनीक के विकास में भी सहयोग होगा।
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